मातृभाषा हिंदी
शीर्षक : मातृभाषा हिंदी
-----------------------------------------------------------------
हिंदी है , जनमानस की भाषा ।
हिंदी है, संस्कृति ओर संस्कार की भाषा ।।
हिंदुस्तान मे, सिरमौर बनी हिंदी ।
हिंदुस्तान की, मातृभाषा ।।
प्राचीन संस्कृत भाषा से जन्मी ।
ब्रज, खडी बोली हो या हो अवधी भाषा।।
विभिन्न रूपों मे, विकसित होकर ।
सम्पूर्ण रूप लिया हिंदी ने , अथाह सागर सा ।।
मातृभाषा हिंदी मे है, अदभुत शक्ति ।
हमारे सपनो को , शब्द और अनुभूति देती।।
मातृभाषा हिंदी से करते हम, असीम प्यार ।
हिंदी हमारी अभिव्यक्ति को, जीवंत करती ।।
प्रचीन काल हो या, आधुनिक काल ।
भारत मे जन्मे अनेक, महान साहित्यकार और रचनाकार ।।
कबीर रहीम सूरदास रसखान, देश मे है लंबी कतार ।
सबने मिलकर बनाई जग मे, हिंदी भाषा की पहचान ।।
प्रोधोगिकी, कम्यूटर ,अंग्रेजी माध्यम स्कूलों ओर संस्थानों मे ।
अंग्रेजी का बोलबाला है, कोर्ट कचहरी और कार्यालयों मे ।।
हिन्दी भाषा विलुप्त सी हो रही, नई पीढ़ी में ।
अंग्रेजी भाषा का वर्चस्व बढ़ रहा, आधुनिक दौर मे।।
पश्चिमी रिति रिवाज हो रहे, हावी इस नए दौर मे ।
अंग्रेजी कर रही प्रभावहीन, हिंदी भाषा को हिंदुस्तान मे।।
जन जागरण कर , जगाना होगा नई पीढ़ी को ।
हिंदी दिवस ही नही वरन , हर दिन समर्पित होना चाहिए हिंदी भाषा को ।।
हिंदी है ,,जनमानस की भाषा ।
हिंदी है, संस्कृति ओर संस्कार की भाषा ।।
हिंदुस्तान मे , सिरमौर बनी हिंदी ।
हिंदुस्तान की, मातृभाषा ।।
-----------------------------------------------------------------
स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित
भगतसिंह, नई दिल्ली