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मातृभाषा हिंदी


शीर्षक :  मातृभाषा हिंदी 

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हिंदी है , जनमानस की भाषा ।

हिंदी है,  संस्कृति ओर संस्कार की भाषा ।।

हिंदुस्तान मे,  सिरमौर बनी हिंदी ।

हिंदुस्तान की,  मातृभाषा ।।


प्राचीन संस्कृत भाषा से जन्मी ।

ब्रज, खडी बोली हो या हो अवधी भाषा।।

विभिन्न रूपों मे, विकसित होकर ।

सम्पूर्ण रूप लिया हिंदी ने , अथाह सागर सा ।।


मातृभाषा हिंदी मे है, अदभुत शक्ति ।

हमारे सपनो को , शब्द और अनुभूति देती।।

मातृभाषा हिंदी से करते हम,  असीम प्यार ।

हिंदी हमारी अभिव्यक्ति को,  जीवंत करती ।।


प्रचीन काल हो या, आधुनिक काल ।

भारत मे जन्मे अनेक, महान साहित्यकार और रचनाकार ।।

कबीर रहीम सूरदास रसखान, देश मे है लंबी  कतार ।

सबने मिलकर बनाई जग मे, हिंदी भाषा की पहचान ।।


प्रोधोगिकी, कम्यूटर ,अंग्रेजी माध्यम स्कूलों ओर संस्थानों मे ।

अंग्रेजी का बोलबाला  है, कोर्ट कचहरी और कार्यालयों  मे ।।

हिन्दी भाषा विलुप्त सी हो रही,  नई पीढ़ी में ।

अंग्रेजी भाषा का वर्चस्व बढ़ रहा,  आधुनिक दौर मे।।


पश्चिमी रिति रिवाज हो रहे, हावी इस नए दौर मे ।

अंग्रेजी कर रही प्रभावहीन,  हिंदी भाषा को हिंदुस्तान मे।।

जन जागरण कर , जगाना होगा नई पीढ़ी को ।

हिंदी दिवस ही नही वरन , हर दिन समर्पित होना चाहिए हिंदी भाषा को ।।


हिंदी है ,,जनमानस की भाषा ।

हिंदी है,  संस्कृति ओर संस्कार की भाषा ।।

हिंदुस्तान मे , सिरमौर बनी हिंदी ।

हिंदुस्तान की,  मातृभाषा ।।

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स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित

भगतसिंह, नई दिल्ली

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